किसान आंदोलन का असर : दो रुपये किलो भी नहीं बिकी गोभी, मेथी पर भी उठाना पड़ रहा घाटा
दिल्ली बार्डर पर चल रहे किसान आन्दोलन की आंच स्थानीय सब्जी मंडियों तक पहुँच चुकी है। हरियाणा के किसानों की सब्जियां दिल्ली नहीं पहुंच रही लिहाजा सब्जी किसानों को घाटा उठाना पड़ रहा है।
लोकल मंडी में स्थिति ऐसी है कि मेथी, मूली, पालक और गोभी के खरीदार नहीं मिल रहे। मंडी में आये किसान मजबूरन अपनी उपज वापस ले जा रहे है, सब्जियां पशुओं के चारे में प्रयोग होने लगी है।
तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बार्डर पर जारी किसान आन्दोलन का असर सब्जी उत्पादक किसानों पर दिखाई दे रहा है। दिल्ली में सप्लाई बंद होने की वजह से लोकल मंडियों में सब्जियों के दाम ओंदे मुहं गिर चुके है। घरौंडा सब्जी मंडी में दो रुपये किलो के भाव में भी मेथी व गोभी नहीं बिकी।
ऐसे ही हालात धनियाँ, पालक और मूली का भी है इन सब्जियों को कोई मुफ्त में ले जाने को तैयार नही है।सब्जी लेकर मंडी आये किसान राममेहर, धर्मबीर, सोहन, रणधीर व अन्य ने बताया कि दिल्ली सब्जी नही जा रही
इसलिए मजबूरन उन्हें लोकल मंडी में अपनी फसल लानी पड़ रही है। मंडी में सब्जियों के खरीदार नहीं है जिससे भाव इतने गिर चुके है कि किसान की लागत तो क्या तुड़वाई और मंडी लाने का खर्च भी पूरा नही होता।
मेथी लेकर आये किसान रामसिंह ने बताया कि मेथी की तुड़वाई और मंडी तक लाने में उसके दो सौ रुपये खर्च हुए लेकिन एक रुपये किलो में भी मेथी नहीं बिकी। मजबूरीवश किसान अपनी उपज को वापस गाँव ले जाते है ताकि इन्हें पशुओं को खिला दे।
शादियों के सीजन में सब्जियों का मंदा सब्जी मंडी के प्रधान कमल शर्मा ने बताया कि दिल्ली में सप्लाई बंद होने के कारण स्थानीय मंडी में आवक तेज हुई है। अमूमन शादियों के सीजन में सब्जियों के भाव में तेजी आती है लेकिन इस बार रेट निम्न स्तर पर पहुँच चुके है।
कमल ने कहा कि बीस किलो गोभी की पेकिंग 25 रुपये में बिकी है जिसमे चार रुपये का खर्च सिर्फ पॉलिथिन पेकिंग का हो जाता है। मेथी, मूली, हरे साग व धनिये आवक डिमांड से बहुत अधिक है जिस कारण इनकी मुफ्त में बिकने वाली स्थिति बनी हुई है। ऐसे ही हालत बने रहे तो सब्जी किसानों को मोटा नुकसान उठाना पड़ेगा।
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