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कोरोना वायरस: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा, आईसीयू बेड रिजर्व मामले को लेकर हाईकोर्ट जाए

कोरोना वायरस: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा, आईसीयू बेड रिजर्व मामले को लेकर हाईकोर्ट जाए

कोरोना वायरस: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा, आईसीयू बेड रिजर्व मामले को लेकर हाईकोर्ट जाए

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दिल्ली में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे है। कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के लिए बेड बढ़ाने को लेकर दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह 33 प्राइवेट अस्पतालों में कोविड-19 मरीजों के लिए 80 प्रतिशत आईसीयू बेड आरक्षित करने के फैसले पर लगी रोक के खिलाफ अपनी याचिका लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में जाए।

आपको बता दें कि हाईकोर्ट की पीठ ने 22 सितम्बर को दिल्ली सरकार के 12 सितम्बर के आदेश पर रोक लगा दी थी। दिल्ली सरकार ने राजधानी के 33 बड़े प्राइवेट अस्पतालों में आईसीयू के 80 प्रतिशत बेड कोरोना मरीजों के लिये आरक्षित रखने का आदेश दिया था।

हाईकोर्ट की पीठ ने कहा था कि प्राइवेट अस्पतालों को आईसीयू के 80 प्रतिशत बेड कोविड-19 के मरीजों के लिये आरक्षित रखने का आदेश अन्य बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।

दिल्ली में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे है।

इस मामले में अगली सुनवाई 12 नंवबर को की जाएगी।दिल्ली सरकार के वकील ने शहर में कोरोना वायरस के आंकड़े किये पेश न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के अचानक तेजी से बढ़ते मामलों के मद्देनजर दिल्ली सरकार की याचिका का संज्ञान लेते हुए

कहा कि हाईकोर्ट में इस याचिका पर 27 नवम्बर की बजाय गुरुवार को सुनवाई की जाए। सुनवाई शुरू होने पर, दिल्ली सरकार का पक्ष रखने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा था कि यह कोई प्रतिकूल मुकदमा नहीं है

और स्थिति का आकलन करने के बाद हम कोविड-19 मरीजों के लिए 80 प्रतिशत आईसीयू बेड आरक्षित रखना चाहेंगे और स्थिति के सामान्य होने पर कुछ सप्ताह बाद इन्हें आरक्षित नहीं रखा जाएगा।

पीठ ने जैन से कहा कि दिल्ली सरकार क्यों नहीं दिल्ली हाईकोर्ट से मामले पर जल्द सुनवाई का अनुरोध करती। जैन ने अदालत में शहर में पिछले कुछ दिनों में लगातार सामने आ रहे सात हजार मामलों के आंकड़े पेश किए।दूसरों राज्यों के मरीजों के कारण बढ़ रहे मामले,

इसलिए अतिरिक्त बेडों की आवश्यकता पीठ ने कहा कि एक समय था जब प्रति दिन 1,000 मामले थे, अब तो मामले कम ज्यादा हो रहे हैं लेकिन दिल्ली सरकार ने अदालत में ऐसी कोई दलील पेश नहीं की कि कोविड-19 मरीजों के लिए बिस्तर उपलब्ध नहीं है।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कहा कि राज्य के बाहर से कई लोग आ रहे हैं और निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं, जिनके लिए आईयीयू बेड का इस्तेमाल भी हो रहा है।

जैन ने साथ ही सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि हाईकोर्ट की पीठ से मामले की सुनवाई बुधवार को करने को कहा जाए, क्योंकि अधिक नुकसान हो गया तो सुनवाई के कोई मायने नहीं रह जाएंगे।

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