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उत्तर प्रदेश: 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दी बड़ी राहत, सभी शिक्षा मित्रों को मिलेगा एक और मौका

उत्तर प्रदेश: 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दी बड़ी राहत, सभी शिक्षा मित्रों को मिलेगा एक और मौका

उत्तर प्रदेश: 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दी बड़ी राहत, सभी शिक्षा मित्रों को मिलेगा एक और मौका

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उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती मामले को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में करीब 69,000 सहायक अध्यापकों की भर्ती से संबंधित मामले के संबंध में यूपी शिक्षा मित्र एसोसिएशन द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि राज्य सरकार के मौजूदा कट ऑफ यानी 60-65 ही जारी रहेगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि शिक्षा मित्र को संबंधित परीक्षाओं में भाग लेने के लिए एक अंतिम मौका दिया जाएगा।

बता दें कि उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती पर पिछले दो साल से अटकलें पर चल रही है। शिक्षक भर्ती का मामला पिछले दो साल से हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का चक्कर काट रहा है। जिससे अभ्यर्थी के नौकरी पर दांव लगी हुई है।

हालांकि इस बीच 69000 सहायक अध्यापक भर्ती मामले में 12 अक्टूबर को बेसिक शिक्षा विभाग ने 31661 अभ्यर्थियों की लिस्ट जारी की थी। सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रताप सिंह बघेल की ओर से जारी सूची के आधार पर कहा गया था

कि आगे की भर्ती प्रक्रिया जल्द पूरी होगी। 69000 शिक्षक भर्ती के तहत 31,277 चयनित शिक्षकों की काउंसलिंग प्रक्र‍िया हो चुकी है। इसमें सबसे पहले 322 दिव्यांग महिला और 605 पुरुष उम्मीदवारों को स्कूल आवंटित किया जा रहा है। कई शिक्षक 31 अक्टूबर से नवंबर तक कार्यभार संभालने के क्रम में हैं।

शिक्षक भर्ती मामले को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।

दो साल से आखिर क्यों अटकी है शिक्षक भर्ती प्रक्रिया दरअसल, दिसंबर, 2018 में योगी सरकार ने सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए वैकेंसी निकाली थी। इस भर्ती को लेकर 6 जनवरी 2019 में लिखित परीक्षा हुआ,

जिसमें करीब चार लाख अभ्याथियों ने इस परीक्षा का हिस्सा लिया। शिक्षक भर्ती की परीक्षा का पेपर 150 नंबर का था। परीक्षा में पास होने के लिए सामान्य वर्ग के कैंडिडेट को 150 में से 97 और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को 90 नंबर लाने थे।

सामान्य वर्ग के कैंडिडेट के लिए 65 प्रतिशत और आरक्षित कैंडिडेट के लिए 60 प्रतिशत कट ऑफ रखा गया था। जबकि पहले सहायक अध्यापकों की भर्ती परीक्षा में आरक्षित वर्ग के लिए 40 और सामान्य वर्ग के 45 प्रतिशत का कट ऑफ तय किया गया था।

इस बढ़े कट ऑफ को लेकर अभ्यर्थियों ने विरोध जाहिर किया। जिसमें शिक्षामित्रों और बीएड-बीटीसी वालों का ग्रुप शामिल था।शिक्षामित्रों ने कट ऑफ को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गए। इसके बाद 11 जनवरी, 2019 को हाईकोर्ट ने शिक्षक भर्ती की कट ऑफ को सामान्य वर्ग के लिए 45 और

अध्यापकों की भर्ती से संबंधित मामले के संबंध में यूपी शिक्षा मित्र एसोसिएशन द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया।

आरक्षित वर्ग के लिए 40 फीसदी तय कर दिया। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 22 मई, 2019 को योगी सरकार ने डिविजन बेंच में अपील दायर कर दी। योगी सरकार के साथ बीएड और बीटीसी के कैंडिडेट्स भी खड़े थे।

6 मई, 2020 को हाईकोर्ट ने योगी सरकार को तय किए गए कट ऑफ (90-97) नंबर पर ही भर्ती कराने का आदेश दिया। साथ ही हाईकोर्ट ने सरकार को तीन महीने के अंदर भर्ती की प्रक्रिया पूरी करने का समय दिया था।

योगी सरकार हाईकोर्ट के आदेश के तहत काउंसलिंग शुरू कराई। इस बीच कुछ अभ्यर्थी चार प्रश्नों को गलत बताते हुए फिर कोर्ट चले गए। कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाते हुए 12 जुलाई को सुनवाई की तारीख तय की।

हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ शिक्षामित्रों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर दी। फिर सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक भर्ती की 3 जून से 6 जून तक होने वाली काउंसलिंग पर रोक लगा दी थी।

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