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विश्व जल दिवस आज : देखिये धरती पर कितना बचा है पीने योग्य पानी, संरक्षण का लें संकल्प

विश्व जल दिवस आज : देखिये धरती पर कितना बचा है पीने योग्य पानी, संरक्षण का लें संकल्प

विश्व जल दिवस आज : देखिये धरती पर कितना बचा है पीने योग्य पानी, संरक्षण का लें संकल्प

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आज पूरे विश्व में जल दिवस मनाया जा रहा है। विश्व जल दिवस मनाते हुए हमें 28 साल हो चुके हैं। पहला विश्व जल दिवस 22 मार्च 1993 को मनाया गया था।

विश्व जल दिवस पानी के महत्व पर ध्यान केंद्रित करने और मीठे पानी के संसाधनों के स्थायी प्रबंधन की वकालत करने के साधन के रूप में प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है। लेकिन हालात कितने बदले हैं। आज इसको लेकर हम चर्चा करते हैं। पूरे संसार में 2.5% पानी ही पीने लायक पानी जीवन का आधार है। इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता। पानी प्रकृति की इंसान को एक अमूल्य देन है।

जिसको इंसान खरीद नहीं सकता। प्रकृति ने सब को पानी दिया है। पूरी पृथ्वी पर 71% पानी है। पूरे संसार में 2.5% पानी ही पीने लायक है। 68.7% ग्लेशियर और बर्फ के टुकड़े, 30.1% भू-जल, 1.2% भूतल / अन्य मीठे पानी के रुप में। जब बच्चा मां की कोख में होता है। उस समय बच्चे में 99% पानी होता है। जब बच्चा पैदा होता है तो उसमें लगभग 90% पानी होता है। जब बच्चा बड़ा होता है,

तो उसमें 70% पानी होता है। और जब वह बच्चा बूढ़ा होता है तो उसमें पानी की मात्रा 50% के आसपास रह जाती है। मानव मस्तिष्क में 75%, हड्डियों में 25% और रक्त में 83% पानी होता है यानी कि पानी ही जीवन है। ब्राजील है साफ पानी का धनी देश जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी के जिला सलाहकार दीपक शर्मा ने बताया कि मौजूदा समय में विश्व की लगभग 18% आबादी भारत में रहती है।

पहला विश्व जल दिवस 22 मार्च 1993 को मनाया गया था।

पूरे विश्व में साफ पानी का धनी देश ब्राजील को माना जाता है। ब्राजील में 8647 अरब क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध है। सबसे कम पानी कुवैत में है। विश्व में पानी की उपलब्धता को लेकर भारत का आठवां स्थान है। भारत में 1911 अरब क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध है।

पानी की कमी से जूझते पूरे विश्व के 20 शहरों में 5 शहर भारत के हैं। इन 20 शहरों की सूची में नंबर 1 पर टोक्यो है, तो नंबर 2 पर दिल्ली है, नंबर 6 पर कोलकाता, 18 पर चेन्नई, 19 में पर बेंगलुरु और 20 नंबर पर हैदराबाद है। विश्व बैंक के अनुमान के मुताबिक भारत करीब 230 घन किलो मीटर भू-जल का दोहन प्रति वर्ष करता है।

सिंचाई का लगभग 60% और घरेलू उपयोग का लगभग 80% भूजल ही होता है देश का 54% इलाका पानी के गंभीर संकट से जूझ रहा है। देश में 1950 से 2010 के बीच ट्यूबलों की संख्या 10 लाख से 3 करोड़ हो गई है। पानी की खपत की दृष्टि से विश्व में भारत का दूसरा स्थान है लेकिन अगर भू-जल की बात करें, भू-जल की खपत में भारत का पूरे विश्व में पहला स्थान है।

देश के 60% जिलों में भू-जल का दुरुपयोग होता है। भू-जल का दुरुपयोग करने वाले राज्य पंजाब 76 प्रतिशत दिल्ली 56 प्रतिशत हरियाणा 54 प्रतिशत तमिलनाडु 31 प्रतिशत कर्नाटक 24 प्रतिशत उत्तर प्रदेश 14 प्रतिशत 50 प्रतिशत पानी जहरीला : देश के 50% जिलों में जमीन के नीचे का पानी जहरीला है। 386 जिलों के भू-जल में नाइट्रेट का जहर है।

335 जिलों के भू-जल में फ्लोराइड का जहर है। 153 जिलों के भू-जल में आर्सेनिक का जहर है। 212 जिलों में जमीन के नीचे का पानी खारा है। कृषि में पानी की खपत : पानी नहीं तो अनाज नहीं, अनाज नहीं तो रोजगार नहीं। पूरे विश्व में भारत खेती में सबसे ज्यादा पानी का इस्तेमाल करता है।

भारत में पानी की खपत कृषि में 83 प्रतिशत उद्योग में 12 प्रतिशत घरेलू में 5 प्रतिशत यूरोप में पानी की खपत उद्योग में 54 प्रतिशत कृषि में 33 प्रतिशत घरेलू में 13 प्रतिशत संसार में पानी की खपत कृषि में 69 प्रतिशत उद्योग में 23 प्रतिशत घरेलू में 8 प्रतिशत चावल उत्पादन में प्रयोग होता है सर्वाधिक पानी 1 किलो चावल धान के उत्पादन में कम से कम 3500 लीटर पानी की खपत होती है।

1 किलो गेहूं के उत्पादन में लगभग 1400 लीटर पानी की खपत होती है। 1 किलो चीनी के उत्पादन में 1200 लीटर पानी की खपत होती है। हरियाणा और पंजाब में 1 किलो धान पैदा करने में 5389 लीटर पानी की खपत होती है।

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (ऋअड) की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रतिदिन 244 करोड रुपए का भोजन बर्बाद होता है। जो सालाना 89060 करोड रुपए बैठता है। 2016 की एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन के लोग जितना खाना खाते हैं। उतना भारतीय नष्ट करते हैं। साल 2019-20 में भारत ने करीब 44.15 लाख टन बासमती चावल निर्यात किया।

44.15 लाख टन बासमती चावल उगाने के लिए 12 ट्रिलियन (12 खराब) लीटर पानी खर्च हुआ। इसे आप ऐसे भी बोल सकते हैं कि भारत ने 44.15 लाख टन बासमती के साथ 12 ट्रिलियन (12 खराब) लीटर पानी भी दूसरे देशों को भेज दिया, जबकि पैसे सिर्फ चावल के मिले। हरियाणा के 17 जिले नहरों पर निर्भर हरियाणा के 17 जिले पीने के पानी के लिए नहरों पर निर्भर हैं।

इनमें हिसार, भिवानी, रोहतक, सिरसा, जींद, फतेहबाद, झज्जर, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, गुरुग्राम, फरीदाबाद, मेवात, पलवल, सोनीपत, पानीपत, चरखी-दादरी और कैथल। 3891 गांव और 71 खंडों में पानी का अति दोहन। 15 खंडों और 760 गांव में पानी की गंभीर कमी है।

वर्ष 1966 में हरियाणा में खेतों में लगभग 28हजार ट्यूबल थे। वर्तमान में हरियाणा के खेतों में लगभग आठ लाख से ज्यादा ट्यूबवेल हैं। जल संरक्षण संबंधित 5 आर रणनीति रिड्यूस – पानी का व्यय कम करना।

रियूज – पानी का पुन: प्रयोग करना। रिचार्ज – वर्षा जल संचय करना। रिसाइकलिंग – पानी का पुनर्चक्रण करना। रिस्पेक्ट – पानी की इज्जत करना। जैसे ही आप पानी की इज्जत करना शुरू करेंगे। खुद ब खुद जल संरक्षण होना शुरू हो जाएगा। अब आपको तय करना है कि आप पानी की इज्जत करेंगे या नहीं।

अगर आप पानी की इज्जत करेंगे, हमारी आने वाली पीढ़ी को पानी के लिए दरबदर दर की ठोकर नहीं खानी पड़ेगी। आइए इस विश्व जल दिवस पर संकल्प करें कि पानी की एक-एक बूंद का सही इस्तेमाल करेंगे और पानी की इज्जत करेंगे।

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