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एक आइडिया से इस किसान ने लॉकडाउन में अपनी तकदीर बदल ली

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एक आइडिया से इस किसान ने लॉकडाउन में अपनी तकदीर बदल ली

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लकीर से हटकर जिसने काम किया उससे सफलता जरूरी मिली। पारंपरिक खेती बाड़ी ने जब धोखा देना शुरू कर दिया और साल साल दर पैदावार घटने लगी। इसके बाद लाॅकडाउन लग गया।

लेकिन इस लाकडाउन में एक आइडिया ने तकदीर बदल दी। कैथल के तारागढ़ गांव के किसान सुरेश ने मछली पालन करने की ठानी। शुरुआत में इस काम को करने के लिए आसपास के लोगों ने भी डराया, लेकिन सुरेश आगे बढ़ते रहे।

शुरूआत में आधा एकड़ से तालाब खोदकर मछली पालन की शुरूआत की, लेकिन शुरूआत में जानकारी कम होने के कारण एक एकड़ में एक लाख रुपये ही कमा सकें। उसके बाद धीरे- धीरे आमदनी बढऩे लगी तो कारोबार भी बढ़ाया।

लेकिन अब साढ़े तीन एकड़ में मछली पालन कर रहे है। इससे एक एकड़ के तालाब के हिसाब से तीन लाख रुपये की आमदनी हो रही है। तीन एकड़ में साढ़े दस लाख रुपये कमा रहे है। आठ महीने में बच्चे से मछली होती है तैयार सुरेश बताते है कि आठ महीने में बच्चे से मछली बनकर तैयार हो जाती है।

इससे उनको एक एकड़ के तालाब में तीन लाख रुपये की बचत होती है। गेहूं व धान की पारंपरिक खेती से नुकसान हो रहा था, बचत 50 हजार रुपये सालाना नहीं होती थी, अब इस व्यवसाय से साढ़े दस लाख रुपये कमा रहे है। उन्होंने बताया कि अगली साल से दो एकड़ में ओर मछली पालन का व्यवसाय बढ़ाया जाएगा।

ये मछली पालते हैं मछली पालक सुरेश बताते है कि तीन साल पहले इस कारोबार को शुरू किया था। तब रोहू नाम की मछली ही पाली थी। अब कतला, ग्रास कार्प, कामन कार्प व मिरगल मछली का पालन कर रहे हैं।

ऐसे होती है सप्लाई सुरेश बताते है कि मछलियों को गाडिय़ों में तिरपाल डालकर उसमें पानी भरा जाता है। मछलियों को इसके अंदर छोड़ दिया जाता है। दूसरे राज्यों में पानी में मछलियां जाती है ताकि दुर्गंध न फैले व मछलियां जीवित रहें। मछली पालन सुरेश बताते है कि 120 रुपये किलो मछली बिक रही है।

बड़े- बड़े मॉल के व्यापारी पहले ही संपर्क कर लेते हैं। दिल्ली, पटियाला, फरीदाबाद, यूपी व मुंबई सहित मछली बिक रही है। अच्छा व्यवसाय मत्स्य पालन अधिकारी सुरेंद्र ने बताया कि मछली पालन एक अच्छा व्यवसाय है।

इससे अच्छी आमदनी किसान कमा सकता है। जिले में मछली पालन की तरफ लोगों का रुझान बढ़ रहा है। समय समय पर सरकार स्कीमें उपलब्ध करवा रही है। सुरेश को समय- समय पर विभाग की तरफ से प्रशिक्षण दिया जा रहा है और किसान भी मछली पालन व्यवसाय को अपना सकते है।

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