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हेमा मालिनी की कश्मीर यात्रा में ऐतिहासिक शंकराचार्य मंदिर में किए दर्शन

हेमा मालिनी की कश्मीर यात्रा में ऐतिहासिक शंकराचार्य मंदिर में किए दर्शन

हेमा मालिनी की कश्मीर यात्रा में ऐतिहासिक शंकराचार्य मंदिर में किए दर्शन

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बॉलीवुड अभिनेत्री एवं भाजपा सांसद हेमा मालिनी मंगलवार को श्रीनगर स्थित ऐतिहासिक शंकराचार्य मंदिर पहुंची।

इस दौरान उन्होंने पूजा की। पूजन के बाद हेमा मालिनी पुलिस व अन्य सुरक्षाबलों के जवानों से मिलीं। इसके साथ ही मंदिर में मौजूद लोगों से उन्होंने बात की। उनके मंदिर जाने के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। हेमा मालिनी ने कहा कि मैं कई बार श्रीनगर आ चुकी हूं। हालांकि इस बार मुझे यहां आने में तीस साल का समय लग गया।

यहां आकर और मंदिर में दर्शन करके हम सभी लोगों को बहुत अच्छा लगा। बारिश के चलते कश्मीर का मौसम और अधिक सुहावना हो गया है। बता दें कि शंकराचार्य मंदिर कश्मीर के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। भगवान शिव को मानने वाले लोग देश विदेश से यहां आते हैं। महाशिवरात्रि पर्व पर यहां भक्तों का तांता लगता है। कश्मीरी पंडितों के साथ ही सभी शिव भक्तों के लिए यह आस्था का प्रमुख केंद्र है।

इसे ज्येष्ठेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर बहुत ही सुंदर और अनूठा है। यह केवल पत्थरों से बनाया गया है। इससे पहले रविवार को हेमा मालिनी कश्मीर के प्राचीन खीर भवानी मंदिर में दर्शन करने पहुंची थीं। यहां वह काफी देर तक रुकी थीं।

बॉलीवुड अभिनेत्री एवं भाजपा सांसद हेमा मालिनी मंगलवार को श्रीनगर स्थित ऐतिहासिक शंकराचार्य मंदिर पहुंची।

खीर भवनी कश्मीरी पंडितों का प्रसिद्ध मंदिर है। मान्यता है कि रावण की भक्ति से प्रसन्न होकर मां राज्ञा माता (क्षीर भवानी या राग्याना देवी) ने रावण को दर्शन दिए थे।

जिसके बाद रावण ने उनकी स्थापना श्रीलंका की कुलदेवी के रूप में की थी। कुछ समय बाद रावण के व्यवहार और बुरे कर्मों के चलते देवी उससे रूष्ठ हो गईं और श्रीलंका से जाने की इच्छा व्यक्त की। इसके बाद जब भगवान राम ने रावण का वध कर दिया तो उन्होंने भगवान हनुमान को यह काम दिया कि वह देवी के लिए उनका पसंदीदा स्थान चुनें और स्थापना करें।

इस पर देवी ने कश्मीर के तुलमुला को चुना। माना जाता है कि वनवास के दौरान राम राग्याना माता की आराधना करते थे तो मां राज्ञा माता को रागिनी कुंड में स्थापित किया गया। कहा जाता है कि क्षीर भवानी माता किसी भी अनहोनी का संकेत पहले ही दे देती हैं। मंदिर के कुंड यानि चश्मे के पानी का रंग बदल जाता है।

इतना ही नहीं क्षीर भवानी के रंग परिवर्तन का जिक्र आइने अकबरी में भी है। 2008 में अमरनाथ भूमि आंदोलन, 2010 में उमर अब्दुल्ला सरकार में हिंसा, 2014 में बाढ़ तथा 2016 में हिजबुल आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद हुई हिंसा के दौरान भी पानी का रंग बदल गया था।

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