जानिए दिवाली पर क्यों विशेष मानी जाती है मां काली की पूजा
दिवाली 14 नवंबर 2020 को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में इस त्योहार को बहुत ही विशेष माना जाता है। दिवाली पर्व की शुरुआत धनतेरस से ही हो जाती है। माना जाता है कि दिवाली पर मां लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं
और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिवाली पर मां काली की पूजा को भी विशेष महत्व दिया जाता है और इस दिन मां काली की पूजा को विशेष रूप से किया जाता है।
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दिपावली का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के साथ ही मां काली की पूजा का भी विधान है।इस दिन को मां काली का प्राकट्य दिवस भी माना जाता है।
काली पूजा, महानिषा पूजा या फिर श्यामा पूजा पूर्वी भारत यानी बंगाल में ज्यादा प्रचलित है। मां काली की मां दुर्गा की दस विद्याओं में से एक माना जाता है। दस विद्याओं में प्रथम शक्ति मां काली ही मानी जाती हैं।
मां की महाकाली, श्मशान काली,गुहए काली,काम काली,भद्रकाली,दक्षिण काली जैसे अनेक रूप हैं। माना जाता है कि जब माता सती ने भगवान शिव को रोकने का जब विस्तार किया था।
उसमें काली प्रथम थीं। इसी कारण से मां काली को आद्याशक्ति के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मां काली की पूजा करने से सिद्धियों की प्राप्ति होती है। इसी कारण से दिवाली के दिन मां काली की पूजा तांत्रिक सबसे अधिक करते हैं।
मां काली की पूजा अर्धरात्रि में ही की जाती है।पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम के लोगों के लिए तो यह दिन काफी खास होता है। क्योंकि इस दिन यहां के लोग मां काली की विशेष पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
दिवाली की रात्रि मनोरथ सिद्ध करने के रात्रि मानी गई है। इसी कारण से दिवाली पर लोग मां काली की पूजा करके उन्हें प्रसन्न करते हैं।
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