काशी में तैयार हुई वैश्विक महामारी कोविड-19 की कुंडली, खुला संक्रमण की भयावहता का राज
विगत लगभग दो वर्षों से वैश्विक महामारी कोरोना ने भारत सहित विश्वपटल पर जिस प्रकार मौत का तांडव मचा रखा है तो वहीं मौत की सुनामी का अंत कब कहां और कैसे होगा इसकी सटीक दवा कब उपलब्ध होगी
यह प्रश्न संपूर्ण विश्व के आम जनमानस में कोध रहा है। प्राय: प्रमुख देशों ने वैक्सीन बना रखी है लेकिन शत-प्रतिशत लाभ की गारंटी कोई नहीं ले रहा है। फिर भी सभी देश अपने-अपने देश में युद्धस्तरीय स्तर पर वैक्सीनेशन करवा रहे है।
जहां तक भारत का सवाल है तो हम सभी जानते है विश्व के जनसंख्या के मामले में भारत का दूसरा प्रमुख स्थान है। यहां की आबादी लगभग एक सौ चालीस करोड़ के लगभग है। इतनी बड़ी जनसंख्या को कम समय में वैक्सीन बनवाकर वैक्सीनेशन करना अपनेआप में एक बड़ी चुनौतीपूर्ण कार्य है।
गौरतलब है कि पूरी दुनिया में तबाही मचाने वाले इस कोरोना वायरस सक्रमण का पहला केस साल 2019 में चीन के वुहान शहर में कोरेाना वायरस ने दस्तक दी थी। 17 नवंबर 2019 को चीन के हुबई प्रांत की राजनधानी वुहान में कोरोना का पहला मामला सामने आया था। हालांकि चीन अधिकारिक तौर पर दिसंबर 2019 में इसकी पुष्टि की थी।
दुनिया में कोरोना वायरस के पहले मरीज के तौर पर चीन की 56 साल की एक महिला की पहचान हुई थी। चीन के वुहान में सी फूड मार्केट में झींगा बेचती थी। इसका नाम वोई गूइजियान है। इसे पेसेंट जीरों बताया गया। पेसेंट जीरो उन मरीजों को कहते है जिनमें सबसे पहले किसी बीमारी के लक्षण दिखते है।
देखा जाए तो कोरोना की पहली स्ट्रेंथ आयी थी तो पश्चिम के देशों में भारी तबाही मची थी। वहीं दूसरी स्ट्रेंथ में सर्वाधिक भारत में तबाही कोरोना ने मचा रखी है। दूसरी स्ट्रेंथ समाप्त भी अभी नहीं हुआ है कि तीसरी स्टे्रेंथ ने भी दस्तक दे दी।
काशी के ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी ने कोरोना वायरस यानि कोविड -19 की कुंडली तैयार कर इसके बारे में काफी कुछ ज्योतिषीय गणना की रूपरेखा पेश कर इसकी भयावहता को समझने के लिए एक लेख प्रस्तुत किया है। कोरोना के बारे में क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र काशी के ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार कोरोना की जन्मराशि की कुंडली को देखा जाए
तो मिथुन राशि के दुर्योग में जन्मा यह कोरोना , राशि लग्न में ही चन्द्रमा राहु का ग्रहण योग क्रियान्वित हो रहा है। तो सप्तम भाव में बृहस्पति शनि केतु की युति तो इन तीनों ग्रहों की लग्न पर पूर्ण दृष्टि पड़ रही है। देखा जाए तो कोरोना के लगन में राहु-चन्द्र की युति ज्योतिष में राहु को एक छाया ग्रह मानते है।
वहीं कोरोना भी अदृश्य है। ज्योतिष शास्त्र में राहु को पाप एवं क्रूर ग्रह जिसका स्वभाव रंग बदलने वाला एक्सीडेंट, कारक अचानक घटना-दुर्घटना को देना जिसका पता लगा पाना बड़ा ही कठिन होता है। अर्थात कोरोना राहु के प्रभाव के चलते ही तरह-तरह का रूप बदल रहा है।
तो वहीं चन्द्रमा के साथ होने से ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा को फेफड़े तथा सर्दी-जुकाम खांसी का कारक माना गया है। इसीलिए कोरोना ने फेफड़ों गला, कान, आंख, पर ही अपना प्रभाव दिखा रहा है। चूंकि राहु छाया ग्रह है इसलिए कोरोना भी अदृय है। राहु ही संक्रमण का सबसे बड़ा कारक ग्रह होता है।
संक्रमण की गति और तेज तब हो जाती है जब राहु पर शनि की दृष्टि हो हालांकि कोरोना की जन्मराशि पर राहु, चन्द्र, शनि, बृहस्पति, केतु इन पांचों ग्रह का प्रभाव है। अर्थात इन पांच ग्रह के दुर्योग से कोरोना के तमाम रूप दिख रहे है। तो वहीं विश्वपटल पर फैलने का सबसे बड़ा वजह कोरोना की कुंडली में बुद्ध जो पंचम भाव में मंगल के साथ बैठा हुआ है।
जैसा की मंगल पृथ्वी पुत्र उसके साथ बुद्ध के बैठने से ही यह धरती पर तेजी से संक्रमित हो रहा है। देखा जाए तो ज्योतिष शास्त्र में कुंडली निर्माण के साथ ही निदान भी सुनिश्चित होजाता है। देखा जाए तो कोरोना का प्रभाव उन लोगों पर ज्यादा देखने को मिलेगा
जिनकी कुंडली में राहु, शनि, केतु, बृहस्पति की अशुभ दशा अर्थात इन चारों ग्रह कुंडली की द्वितीय भाव षष्ठ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव को इनमें से कोई ग्रह वर्तमान में प्रभावित कर रहे हो या इनकी महादशा अन्तर दशा प्रत्यंतरदशा में चारों ग्रहों जैसे कोई भी ग्रह मारक हो। गोचर में भी जिन लोगों की कुंडली में चारों ग्रह अशुभ भाव में संचरण कर रहे हो उनको भी कोरोना होने की आशंका बनी रहेगी।
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