Delhi Pollution Update: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार दिल्ली में लगातार छह दिनों तक चार नवंबर से नौ नवंबर के बीच प्रदूषण स्तर गंभीर श्रेणी में बना रहा था।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आने वाले दिल्ली के पड़ोसी शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक फरीदाबाद में 306, गाजियाबाद में 336, नोएडा में 291, ग्रेटर नोएडा में 322, गुड़गांव में261 दर्ज किया गया।
(Delhi Pollution Update) राजधानी दिल्ली में हवा चलने के कारण प्रदूषण के स्तर में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई है। लेकिन वायु गुणवत्ता बृहस्पतिवार को बेहद खराब श्रेणी में दर्ज की गई। दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) सुबह नौ बजे 315 दर्ज किया गया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार दिल्ली में लगातार छह दिनों तक चार नवंबर से नौ नवंबर के बीच प्रदूषण स्तर गंभीर श्रेणी में बना रहा था। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आने वाले दिल्ली के पड़ोसी शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक फरीदाबाद में 306, गाजियाबाद में 336, नोएडा में 291, ग्रेटर नोएडा में 322,
गुड़गांव में261 दर्ज किया गया। दो दिन पहले की तुलना में प्रदूषण का स्तर काफी बेहतरविशेषज्ञों का कहना है कि स्थिति दो दिन पहले की तुलना में काफी बेहतर है, जब प्रदूषण का स्तर ‘आपात’ से भी ऊपर पहुंच गया था।
सरकारी एजेंसियों और मौसम विशेषज्ञों ने बताया कि हवाओं की दिशा उत्तर पश्चिम से बदलकर उत्तर-उत्तर पूर्व होने से प्रदूषण स्तर में गिरावट दर्ज की गई क्योंकि हवा की दिशा की वजह से पराली जलने से दिल्ली में प्रदूषण की हिस्सेदारी में उल्लेखनीय कमी आई।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने बताया कि मंगलवार की तुलना में स्थिति बेहतर है। उन्होंने बताया कि हवा की दिशा में बदलाव से पंजाब और हरियाणा से पराली का धुआं पहले की तरह इधर नहीं आ पा रहा है।
अधिकारी ने बताया कि हालांकि, शुक्रवार को आंशिक तौर पर वायु गुणवत्ता में गिरावट की संभावना है।न्यूनतम तापमान 11.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज आईएमडी ने बताया कि सुबह हवा की गति शांत थी और न्यूनतम तापमान 11.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
शांत हवा और न्यूनतम तापमान से प्रदूषण तत्व सतह के करीब रहते हैं जबकि हवा में तेजी से इन कणों का बिखराव होता है। सफदरजंग वेधशाला ने सुबह में हल्की धुंध दर्ज और दृश्यता का स्तर 800 मीटर था।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी इकाई ‘सफर’ ने बताया कि हवा की दिशा में बदलाव की वजह से पराली जलने के कारण शहर में प्रदूषण की हिस्सेदारी कम रही।
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