चक्रवात ‘यास’ : कुदरत का कहर: ‘यास’ ने किया बंगाल का सत्यानाश, चक्रवात से एक करोड़ से ज्यादा लोग हुए प्रभावित
कुदरत के आगे इंसान कितना बेबस है, चक्रवात ‘यास’ में एक बार फिर इसका अहसास करा दिया। यास आया और कहर बरपाते हुए चला गया। उससे निपटने को बंगाल सरकार की तरफ से की गई सारी तैयारियां धरी की धरी रह गईं।
बंगाल में सबसे ज्यादा नुकसान पूर्व मेदिनीपुर व दक्षिण 24 परगना जिलों में हुआ। पश्चिम मेदिनीपुर में भी चक्रवात का अच्छा-खासा असर रहा, वहीं कोलकाता, हावड़ा, हुगली समेत कई जिले आंशिक रूप से प्रभावित हुए। सेना व एनडीआरएफ की टीमें चक्रवात प्रभावित इलाकों में बचाव व राहत कार्यों में जुट गई हैं।
पर्यटन स्थल दीघा में समुद्र का पानी घुस गया। गंगासागर का विख्यात कपिल मुनि मंदिर परिसर भी जलमग्न हो गया है। पूर्व व पश्चिम मेदिनीपुर और दक्षिण 24 परगना जिलों के कई गांवों में पानी घुसने से बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। सबसे ज्यादा नुकसान कृषि को पहुंचा है। खेतों में समुद्र का लवण-युक्त पानी घुसने से तैयार फसलें नष्ट हो गई हैं।
राज्य सचिवालय नवान्न से मंगलवार से हालात पर लगातार नजर रख रहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि चक्रवात से सूबे में एक करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। तीन लाख से अधिक घरों को नुकसान पहुंचा। 134 तटबंध टूट गए और सैकड़ों पेड़ उखड़ गए हैं। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि चक्रवात प्रभावितों के लिए 18,000 राहत शिविर खोले गए हैं।
10 लाख तिरपाल वितरित किए जा रहे हैं। प्रभावित इलाकों में 10 करोड़ रुपये मूल्य की राहत सामग्रियां भी भेजी जा रही हैं। सुबह 9.15 बजे लैंडफॉल, फिर पांच घंटे चला तांडव कुदरत के आगे इंसान कितना बेबस है, चक्रवात ‘यास’ में एक बार फिर इसका अहसास करा दिया।
यास आया और कहर बरपाते हुए चला गया। उससे निपटने को बंगाल सरकार की तरफ से की गई सारी तैयारियां धरी की धरी रह गईं। बंगाल में सबसे ज्यादा नुकसान पूर्व मेदिनीपुर व दक्षिण 24 परगना जिलों में हुआ। पश्चिम मेदिनीपुर में भी चक्रवात का अच्छा-खासा असर रहा,
वहीं कोलकाता, हावड़ा, हुगली समेत कई जिले आंशिक रूप से प्रभावित हुए। सेना व एनडीआरएफ की टीमें चक्रवात प्रभावित इलाकों में बचाव व राहत कार्यों में जुट गई हैं। पर्यटन स्थल दीघा में समुद्र का पानी घुस गया। गंगासागर का विख्यात कपिल मुनि मंदिर परिसर भी जलमग्न हो गया है।
पूर्व व पश्चिम मेदिनीपुर और दक्षिण 24 परगना जिलों के कई गांवों में पानी घुसने से बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। सबसे ज्यादा नुकसान कृषि को पहुंचा है। खेतों में समुद्र का लवण-युक्त पानी घुसने से तैयार फसलें नष्ट हो गई हैं। अलीपुर मौसम कार्यालय के अधिकारी संजीव बंद्योपाध्याय ने बताया-‘यास ने बुधवार सुबह 9.15 बजे बालासोर से 20 किलोमीटर दूर लैंडफॉल किया।
लैंडफॉल की पूरी प्रक्रिया करीब 3.30 घंटे में पूरी हुई। लैंडफॉल के समय 130-140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल रही थी। लैंडफॉल के बाद बंगाल के विभिन्न जिलों में करीब पांच घंटे यास का तांडव चला।
लैंडफॉल करने के बाद चक्रवात लगातार उत्तर-पश्चिम दिशा में झारखंड की ओर बढ़ रहा है, हालांकि समय के साथ इसकी तीव्रता भी कम होती जा रही है। बंगाल में चक्रवात के कहर के दौरान अधिकतम 155 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चली।
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