रात में बनाया चिकन, रिश्तेदारों से फोन पर की बात, सुबह पूरे परिवार की मिली लाश
रायपुर. नवा रायपुर मार्ग पर नेशनल हाईवे से लगे केंद्री गांव में एक ही परिवार के पांच लोगों की लाशें मिलने की दर्दनाक घटना ने पूरे गांव काे झकझोर कर रख दिया। परिवार का मुखिया कमलेश दिवाली त्योहार के बाद से वेल्डिंग का काम करने नहीं गया था।
वह सोमवार को बाजार से चिकन खरीदकर लाया और उसे खुद ही बनाया। पत्नी, बच्चों और मां को खाना खिलाया। इसके बाद चारों नए कपड़े पहनकर ही सो गए थे। कढ़ाई में बचा चिकन सुबह के लिए रख दिया था। इसके बाद उसने अपने साढ़ू सुनील साहू समेत अन्य रिश्तेदारों से फोन पर बात की,
लेकिन उसकी बात से किसी को भी एहसास नहीं हुआ कि वह इतना बड़ा खौफनाक कदम उठा सकता है। रात में मां ललिता, पत्नी प्रमिला और बेटे नरेंद्र व बेटी कृति की इतनी सावधानी से कमलेश ने हत्या की कि उसके घर से सटे बड़े भाई डोमन व उसके परिवार को भनक तक नहीं लगी।
दिवाली पर खरीदे नए कपड़े जानकारी के मुताबिक कमलेश ने दिवाली त्योहार पर पूरे परिवार को नए कपड़े खरीदे थे। त्योहार के दिन वह बेहद खुश था। सोमवार को मातर कार्यक्रम में उसका पूरा परिवार शामिल हुआ था। उसे देखने पर कहीं से भी नहीं लगा रहा था
कि इतना बड़ा खौफनाक कदम उठा सकता है। पत्नी को मजदूरी कराना खटकता था ग्रामीणों के मुताबिक कमलेश पहले राजमिस्त्री का काम करता था, लेकिन करीब 3 साल से वह वेल्डिंग का काम करने लगा। इसके बाद पत्नी रोजी-मजूरी करने लगी थी। इसे लेकर वह ऐतराज करता था।
पत्नी प्रमिला को काम करने नहीं देना चाहता था। मनरेगा में 5 महीने से नहीं मिला काम ग्राम पंचायत केंद्री के सचिव उदयराम सिन्हा ने बताया कि प्रमिला व कमलेश का मनरेगा योजना के तहत मजदूर कार्ड बना था, लेकिन लॉकडाउन से पहले सिर्फ प्रमिला ही मजदूरी करने जाती थी।
करीब 5 महीने से मनरेगा योजना में काम नहीं था, जिससे प्रमिला को काम नहीं मिला था।राशन देने समिति का दावा समिति का दावा था, उसके परिवार को 5 नवबंर को करीब 80 किग्रा राशन मिला था। वहीं कमलेश की मां ललिता को 350 रुपए प्रति माह के हिसाब से हर तीन महीने में वृद्धा पेंशन मिलती थी,
लेकिन जांच के दौरान कमलेश के मकान में सिर्फ 4 से 5 किग्रा राशन मिलने की बात सामने आई है। जमीन बेचकर बनाया था मकान मृतक कमलेश के भाई डोमन ने बताया कि पैतृक खेती की जमीन उसके पिता के समय ही समाप्त हो गई थी। उसके पैतृक निवास के पास 5 डिसमिल जमीन थी,
जिसमें से ढाई डिसमिल जमीन को उन्होंने बेच दिया था। उससे मिले पैसे का तीनों भाईयों ने आपस में बंटवारा कर लिया। इस रकम से दोनों भाईयों ने दो-दो कमरे का अलग-अलग मकान बना लिया। अब उनका पूरा परिवार रोज कमाकर खाता है।सुसाइड नोट मिलने का हल्ला सूत्रों का दावा है,
मृतक कमलेश के पास से सुसाइड नोट मिला है, जिसमें आर्थिक तंगी से परेशान होकर मां ललिता, पत्नी प्रमिला, बेटे नरेंद्र और बेटी कृति की हत्या कर खुदकुशी करने का जिक्र है। वह बेटे और बेटी को अनाथ नहीं छोड़ना चाहता था, लेकिन पुलिस ने इसकी पुष्टि नहीं की है। उनको मारने का जिक्र किया है,
लेकिन पुलिस ने इसकी पुष्टि नहीं की है। पति-पत्नी के बीच संघर्ष पुलिस के मुताबिक शार्ट पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतका प्रमिला साहू के दाहिने हाथ की कोहनी और गले पर चोट के निशान मिले हैं। इससे साफ है, जिस समय कमलेश उसकी गला दबाकर हत्या करने की कोशिश कर रहा था,
उनके बीच संघर्ष हुआ था। इस दौरान कमलेश के नाखून से प्रमिला के गले पर चोट लगी थी। हालांकि बाकी तीनों के शरीर पर चाेट के निशान नहीं हैं।पांचाें का एक साथ दाह संस्कार पांचाें लाशों को पोस्टमार्टम के बाद उसके पैतृक निवास भेज दिया गया।
कमलेश, उसकी मां ललिता, पत्नी प्रमिला और बेटे नरेंद्र व बेटी कृति की लाशों का एक साथ दाह संस्कार करने अंतिम यात्रा निवास से निकली तो पूरे गांव का कलेजा दहल उठा। मासूम बच्चों की लाशें देख पूरा गांव फफक-फफककर रो पड़ा। शाम को गांव के बाहर श्मशानघाट पर पांचाें लाशों का एक साथ दाह संस्कार किया गया।
भाईयों ने लाशों को मुखाग्नि दी। हर महीने दवा पर 3 हजार खर्च कमलेश की मां ललिता लंबे समय से बीमार चल रही थी। उसकी पत्नी प्रमिला का भी इलाज चल रहा था। इसके बाद भी वह मजदूरी करती थी। हर महीने करीब 2 से 3 हजार रुपए दोनों के इलाज पर खर्च होता था,
जबकि दोनों मिलकर महीनेभर में 6 से 7 हजार रुपए की कमा पाते थे। लॉकडाउन में 5 महीने तक दोनों का काम बंद था। बैंक में जमा कुछ रकम से ही दवाएं लाता रहा। जांच के बाद स्पष्ट होगा कमलेश साहू द्वारा आर्थिक तंगी से परेशान होकर ऐसा कदम उठाने का मामला प्रतीत हो रहा है। हालांकि जांच के बाद ही मौत की वजह स्पष्ट होगी।
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