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सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार को नोटिस, ‘अल्पसंख्यक’ की परिभाषा बताने को कहा

सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार को नोटिस, 'अल्पसंख्यक' की परिभाषा बताने को कहा

सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार को नोटिस, ‘अल्पसंख्यक’ की परिभाषा बताने को कहा

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उस याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है जिसमें पांच समुदायों – मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी- को उन राज्यों

और केंद्र शासित प्रदेशों में भी अल्पसंख्यक दर्जा देने संबंधी अधिसूचना के खिलाफ विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित याचिकाओं को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने का आग्रह किया गया है, जहां वे अल्पसंख्यक नहीं हैं.

शीर्ष अदालत मामले में फैसले के लिये उच्च न्यायालयों में लंबित सभी याचिकाओं को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने संबंधी वकील और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना व न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने गृह मंत्रालय, विधि एवं न्याय मंत्रालय और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को नोटिस जारी किया है.

बता दें कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग कानून, 1992 के प्रावधान 2(सी) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं दिल्ली, मेघालय और गुवाहाटी उच्च न्यायालयों में लंबित हैं. इसी कानून के तहत सरकार ने 23 अक्टूबर, 1993 को अधिसूचना जारी कर मुसलमान, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी समुदायों को देश भर में अल्पसंख्यक घोषित किया था.

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उस याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है

बीजेपी नेता का दावा – अप्लसंख्यकों के लिए बनी स्कीमों का नहीं हो रहा ठीक इस्तेमाल

याचिका में आरोप लगाया गया कि स्थिति ऐसी बन गई कि पंजाब में जहां अधिसंख्य आबादी सिखों की हैं तो वहीं जम्मू कश्मीर में बहुसंख्य मुस्लिम आबादी को अल्पसंख्यकों का लाभ मिल रहा है. बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की तरफ से सीनियर वकील सी एस वैद्यनाथन न्यायालय में पेश हुए.

अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दायर याचिका ने कहा गया है कि विभिन्न याचिकाओं और परस्पर विरोधी विचारों से बचने के लक्ष्य से सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरण याचिका दायर की गई है.

अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, जम्मू और कश्मीर, केरल, लक्षद्वीप, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में अप्लसंख्यक स्कीमों का ठीक से इस्तेमाल नहीं हो रहा है.

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